एकनाथ ने उसे अपने दादा जी की एक रहस्यमयी कहानी सुनाई। दादा जी गांव के बाहरी इलाके में एक मंजिला घर में रहते थे। उनके घर के पीछे नदी बहती थी और उसके पार घना जंगल था। एकनाथ बचपन में गर्मियों की छुट्टियों में अक्सर अपने दादा जी के पास जाता था।
एक ठंडी रात, एकनाथ अपने भाई-बहनों के साथ छत पर सो रहा था, जबकि दादाजी बाहर चबूतरे पर सोए हुए थे। उस रात दादाजी के पास एक नारियल रखा हुआ था। एकनाथ को बहुत उत्सुकता हुई कि दादाजी ऐसा क्यों करते हैं, लेकिन दादाजी ने जवाब देने से टाल दिया।
आधी रात के करीब, एक अजीब सी आवाज से एकनाथ की नींद खुल गई। उसने खिड़की से झाँका तो देखा एक लंबी, काले कपड़ों में ढंकी हुई डरावनी आकृति आंगन में खड़ी है। वह आकृति दादाजी की तरफ बढ़ी और उनपर हमला करने का प्रयास किया। उसी समय दादाजी जाग गए और उन्होंने पास में रखे नारियल को उस आकृति की तरफ कर दिया। आकृति गुस्से में आ गई और नारियल को तोड़कर दूर फेंक दिया। इसके बाद वह गायब हो गई।
सुबह, एकनाथ ने दादाजी से उस रात के बारे में पूछा। दादाजी ने बताया कि हर अमावस्या को उन्हें एक अज्ञात शक्ति को नारियल देना पड़ता है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। उन्होंने बताया कि ऐसा न करने पर वह शक्ति उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है।
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